ऐसा मंदिर जहां नवरात्र में पट बंद रहते हैं, आरती भी गर्भ गृह से बाहर, माता के भोग भी नहीं लगता ,मंदिर में अशुद्धि न हो और पवित्रता बनी रहे इसीलिए पट बंद रखे जाते हैं 

जहाजपुर

नवरात्र में माता जी के दर्शनों का बड़ा महत्व है लेकिन जहाजपुर में घाटारानी माता जी का मंदिर ऐसा है जहां पर पूरे नवरात्र मंदिर के पट बंद रहते हैं। शनिवार को अमावस्या के दिन पूजा-अर्चना और भोग के बाद पट बंद कर दिए गए। अब ये पट अष्टमी के दिन मंगला आरती के समय खुलेंगे। पट बंद रहने से पूजा-अर्चना भी माता के निज मंदिर के बाहर ही होती है। ये परंपरा मंदिर निर्माण से चल रही है। मंदिर का निर्माण तंवर राजपूत वंशजों ने विक्रम संवत 1985 में कराया था। प्रदेश में संभवतया यह पहला पहला शक्तिपीठ है, जहां नवरात्र में मंदिर के पट बंद रहते हैं।


घटारानी माता की प्रतिमा ।

  • पट बंद रहने के पीछे पुजारी शक्तिसिंह कारण बताते हैं कि यहां श्रद्धालु आम दिनों में गर्भ गृह में ही दर्शन करते हैं। नवरात्र में मंदिर में कोई अशुद्धि नहीं हो और पवित्रता बनी रहे इसीलिए पट बंद रखे जाते हैं। मान्यता है कि नवरात्र में मातारानी स्वयं नराल (निराहार रहकर आराधना में लीन रहती है। इसीलिए पट बंद रख कर किसी भी तरह का भोग, प्रसाद, धूप नहीं चढ़ाया जाता है। दिन में 6 बार होने वाली आरती में भी सिर्फ कर्पूर और गुग्गल की ही धूप लगाई जाती है। सप्तमी तक श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन कर मन्नते मांगते हैं। अष्टमी के दिन पट खुलने के साथ ही माता के लिए पचानपुरा के राजपूत परिवार के यहां से भोग आता है। घाटारानी माता तंवर राजपूतों की कुलदेवी है। यहां चैत्र और शारदीय नवरात्र में अष्टमी और नवमी को दो दिन मेला भरता है।